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"गुमराह" गुमराह बहुत हुई यहाँ मैं इंसानों की बीच में था कुसूर मेरा कोई या छलावा था कोई ऐ मेरे परवरदिगार तू भी तो बतला ज़रा भ्रम और धोखे ...